Not known Details About Shodashi

Wiki Article



क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

Every struggle that Tripura Sundari fought is usually a testament to her may possibly plus the protective character of the divine feminine. Her legends continue on to encourage devotion and therefore are integral into the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.

संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Goddess Shodashi has a 3rd eye on the forehead. She's clad in pink costume and richly bejeweled. She sits over a lotus seat laid over a golden throne. She's revealed with four arms during which she retains 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane as being a bow.

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the click here collective aspirations for spiritual development as well as attainment of worldly pleasures and comforts.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

Understanding the significance of those classifications can help devotees to select the suitable mantras for his or her own spiritual journey, ensuring that their methods are in harmony with their aspirations as well as divine will.

Report this wiki page